क्षमाभाव
क्षमाभाव यह आत्मा का शुद्ध भाव है । आज वह पूर्णतः समाप्त हो रहा है । कोई किसीको क्षमा करने को तैयार ही नही ।
सामान्य-सी रॉड पर किसी कार की किसी कार से टक्कर हो जाए तो एक चालक क्षमा भी माँग ले तो भी दूसरा चालक उसे क्षमा नही करता, उसकी जान ले लेता है । और स्वयं आजीवन जेल जाता है । यानी पांच मिनिट पहले जिस व्यक्ति को आप जानते भी नही थे , आप उसकी जान लेने पर उतारू हो गए !! और स्वयं अपना जीवन जेल में काटने को तैयार हो गए !! यह शरीरभाव बढ़ने के कारण है ।
सामान्य-सी रॉड पर किसी कार की किसी कार से टक्कर हो जाए तो एक चालक क्षमा भी माँग ले तो भी दूसरा चालक उसे क्षमा नही करता, उसकी जान ले लेता है । और स्वयं आजीवन जेल जाता है । यानी पांच मिनिट पहले जिस व्यक्ति को आप जानते भी नही थे , आप उसकी जान लेने पर उतारू हो गए !! और स्वयं अपना जीवन जेल में काटने को तैयार हो गए !! यह शरीरभाव बढ़ने के कारण है ।
आप मे न सहनशीलता बची है न क्षमाभाव बचा है । आज बड़े गर्व से लोग कहते है, "मैं मेरे जीवन में उसे क्षमा नही कर सकता ।", ऐसा कहना आप कितने कमज़ोर है, यह बताता है ।
क्षमा करना एक पवित्र आत्मा का स्वभाव होता है ।
- स्त्रोत - लाइफ मैनेजमेंट
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