कर्म

कोई किसी को कभी भी सुखी नही कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्म से सुखी या दुखी होता है। भले ही वह आपका अपना बच्चा ही क्यों न हो। आप अपने बच्चे को क्या सही है , क्या गलत है उतना बताने का अपना कर्तव्य करे, बस यही आपके हाथ मे है। बच्चा भी एक आत्मा है। वह भी अपने कर्म के भोग भोगने ही जन्मा है। यह सदैव याद रखो तो ही आप अपने जीवन मे मुक्त अवस्था को प्राप्त कर सकते हो।

        ✍..बाबा स्वामी

 

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