शरीरभाव ही प्रथम रुकावट

"शरीरभाव " ही  "प्रथम   रुकावट"  है  जो  अपने  शरीर  की  समस्याओं  की  ओर  ही  आपका  ध्यान  "आकर्षित " करेगी  क्योंकि  आप  अगर  ध्यान  करेंगे  तो  आत्मा  का  भाव  बढ़ेगा  औऱ  शरीरभाव  कम  होगा । इसलिए  आपका  ध्यान  समस्याओं  की  ओर  करके  शरीरभाव  आपके  मार्ग  में  बाधा  खड़ी  करता  है । इसलिए  प्रथम  तो  इससे  सावधान  ही  रहे । ध्यान  कभी  भी  "अपेक्षा " के  साथ  नहीं  करना  चाहिए  क्योंकि  अपेक्षा  तो  शरीर  का  ही  भाव  होता  है । "निःस्वार्थ  भाव " से  ही  ध्यान  करे । "निःस्वार्थ  भाव " आत्मा  का  भाव  होता  है । .....*

*✍पू .सदगुरु बाबा स्वामीजी*

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