गुरुमंत्र

गुरुमंत्र केवल शब्दों का समूह नहीं है। इसमें ८०० सालों से गुरुशक्ति विद्यमान है। इस प्रकार आप भी इस प्रकार से आठ-आठ गुरुवार की गुरुमंत्र-साधना कर अपनी आत्मशांति की मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। यहाँ पर इस स्थानविशेष का लाभ भी हमें साधना में मिलेगा । इसे ( गुरुमंत्र) " *नवरात्री* "के समय करना अत्याधिक   प्रभावशाली होगा। क्योंकि " *नवरात्री* *" में ही इसकी स्थापना भी* *हुई है* । जाप में संख्या का महत्व नहीं है, समय का महत्व नहीं है। महत्व है -  स्पष्ट मंत्र-उच्चारण और आत्मिक समर्पण भाव का। आप जितना आसानी से कर सके, करें और आप स्वयं ही अनुभव लें।

*श्री शिवकृपानंदस्वामी*
*आध्यात्मिक सत्य - पृ-१७४*

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी