प्रचार

प्रचार अपने भीतर से, जैसे सूरज की किरण निकलती है ना, वैसे अपने भीतर से प्रचार निकलना चाहिए। किसी से भी मिलो, आप बस वह बोर हो जाए ऐसा प्रचार मत करना। नहीं तो वह बोलेंगे कि सूरज का ताप बहुत तेज है। हम हजार लोगों को कहेंगे तो दो-चार तो सुनेंगे ही। मधुचैतन्य तो एक पत्रिका है। क्या हम इस पत्रिका को सामान्य व्यक्ति तक पहुंचा नहीं सकते ? जरूरी थोड़ी है कि हम साधक तक ही पहुंचाएं । हम उसे सामान्य लोग तक भी पहुंचा सकते हैं। जो मधुचैतन्य हमारे पास होते हैं, हम लोगों ने पढ़ा  हमारा हो गया। तो जब हम प्रचार के लिए जाते है , प्रसार शिबिर लगाते हैं उस समय उसका उपयोग किया जा सकता है। चाहे तो आप लोग उसका उपयोग प्रचार के लिए भी कर सकते हैं। तो मधुचैतन्य एक अच्छा प्रचार का साधन है ।

🌹🌹पूज्या गुरुमां 🌹🌹

स्नेह सम्मेलन  12आक्टोबर से 19आक्टोबर 2019 समर्पण आश्रम दांडी।

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