शिव का दूसरा नाम है सत्य

◆ शिव का दूसरा नाम है सत्य।
- तो सत्य किसी जाति विशेष में , सत्य किसी समाज में , सत्य किसी देश में , सत्य किसी भाषा में अलग-अलग नहीं होता।

◆ सत्य , सत्य होता है। वह एक-सा रहता है , एक जैसा रहता है।

◆ कही पे भी जाएँगे , उसका स्वरूप एक होगा। तो सत्य वह अनुभूति है , परमेश्वर की वह अनुभूति जिस अनुभूति के आधार पे विश्व के कई देश की आत्माएँ एक दूसरे के साथ जुडी हुई है।

◆ विदेश में अलग अनुभूति , यहाँ पे अलग अनुभूति , ऐसा नहीं है। अनुभूति समान है , एक जैसी है। क्योंकि अनुभूति सत्य है।

*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*

*महाशिवरात्रि - २०१२*

मधुचैतन्य (पृष्ठ : २२)
अप्रैल, मई , जून - २०१२

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