सद्गुरु का सान्निध्य
••● *जैसी तुम्हारी इच्छा होगी , जैसी तुम्हारी स्थिति होगी , उसी के अनुसार आपको सद्गुरु का सान्निध्य प्राप्त होगा।*
••● कई लोग मोक्ष की अभिलाषा लेकर इस मार्ग में आते हैं। उनकी तीव्र इच्छा-शक्ति , ध्यान साधना के मार्ग से उनको मोक्ष तक पहुँचा देती है।
••● परंतु *कुछ साधकों को मोक्ष से अतिरिक्त सद्गुरु का सान्निध्य अधिक प्रिय है।*
••● वे मोक्ष को ठुकराकर भी वापस आ जाते हैं।
••● अर्थात् *गुरु का सान्निध्य हो तो मोक्ष आपका निश्चित ही है। आप कभी भी मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।*
••● *सद्गुरु का सान्निध्य महत्त्वपूर्ण है , मोक्ष महत्त्वपूर्ण नहीं है। मोक्ष तो बाई प्रॉडक्ट (है) , आपको ऐसे ही मिल जाएगा।*
••● *उसी कारण मैं भी उस शून्य की अवस्था को पाकर वापस आया हूँ।*
••● उस शून्य की अवस्था पर पहुँचने के बाद सिर्फ उसी इच्छा से वापस लौटकर आया हूँ कि . . .
••● मैं अकेला जाना नहीं चाहता था। *जिनको मैंने सत्य के मार्ग का आश्वासन दिया था , उनको रास्ता दिखाना मेरी मजबूरी थी।*
*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*
*महाशिवरात्रि - २००४*
मधुचैतन्य (पृष्ठ : १८)
जनवरी, फरवरी, मार्च - २००४
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