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••● हम चारों धाम की यात्रा भी कर आते हैं पर अपने "निजधाम" की यात्रा नहीं करते हैं।

••● जाना सभी को "निजधाम" है , जीवन में उसका रास्ता भी नहीं पूछते हैं।

••● एक गाँव की यात्रा करना हो तो भी तैयारी करते हैं , पर "निजधाम" की तैयारी कभी नहीं करते।

••● "निजधाम" की यात्रा जीवन की सबसे बड़ी यात्रा है।

••● सोचो "निजधाम" की यात्रा की क्या तैयारी की है , क्या साथ लिया है।

••● "निजधाम" की यात्रा में कोई सहयात्री नहीं होता है।

••● "निजधाम" की यात्रा हमें केवल ओर केवल अकेले करना होती है।

••● "निजधाम" की दिशा की ओर हमारा कभी चित्त ही नहीं होता है।

••● "निजधाम" की ओर हमारा चित्त ले जाने वाला वातावरण ही हमारे आसपास नहीं होता है।

••● चारों धाम से अधिक पास "निजधाम" होता है , पर हमारा वहाँ जाना नहीं होता है।

••● "निजधाम" में जाने के लिए पवित्र और शुद्ध चित्त की आवश्यकता होती है।

••● "निजधाम" में जाने का अवसर केवल अपने जीवनकाल में ही हमें प्राप्त होता है।

••● "निजधाम" ही विचारों से मुक्त रहने का स्थान है इसलिए चारों धाम में नही निजधाम में जाईये ओर रहिये।

••● चारों धाम बिना शरीर के भी जा सकते हो , "निजधाम" शरीर के बिना नहीं जा सकते हो।

••● आप चारों धाम में जिसे खोज रहे हो "वो" तो आपके ही "निजधाम" में बैठा हुआ है।

••● "निजधाम" में "वो" के सान्निध्य में रहोगे तो विचार मुक्त रहोगे।

••● मोक्ष एक उच्च आध्यात्मिक स्थिति है , जो हमे हमारे जीवनकाल में ही प्राप्त करना होती है।

••● यह मोक्ष की स्थिति पाने का एकमात्र मार्ग है , "निजधाम" में रहो।

••● निजधाम" हमारे एकदम ही पास है पर पवित्र आत्माओं की सामुहिकता के बिना वहाँ जाया नहीं जा सकता है।

••● सद्गुरु के सान्निध्य में ही "निजधाम" में जाया जा सकता है।

••● आपको अगर आपके जीवन में सद्गुरु मिल गए हैं तो "निजधाम" की यात्रा पर निकल जाओ।

••● "निजधाम" की यात्रा पर जाने से अच्छा सद्गुरु के सान्निध्य का कोई उपयोग नहीं है।

*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*

*Source :*

*Social Media* (Daily Messages)
Date : 10/10/2019 to 12/11/2019

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