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••● आज के युवा वर्ग पर ही बढ़ते हुए 'बुद्धि का विकास' का प्रभाव पड़ रहा है। बिना भाव के विकास तो केवल बुद्धि का विकास होगा।

••● यह तो बिना नींव के बने बिल्डिंग जैसा होगा। या समझ लो - पत्तों से बना बंगला होगा जो एक हवा के झोंके से भी गिर सकता है।

••● *आज के युवा वर्ग को संतुलन की अत्यंत आवश्यकता है। आप अगर युवा हैं तो आपको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।* विशेष रूप से २० साल से ३५ साल के बीच में हो।

••● *बुद्धि के अति विकास से आपके पास 'गति' आ गई है पर 'नियंत्रण' नहीं है। यही कारण है , युवा वर्ग के हाथ से 'दुर्घटनाएँ' अधिक हो रही हैं। टेक्नॉलोजी भी गति को महत्त्व दे रही है , 'नियंत्रण' को नहीं।* कहते हैं न , “एक तो करेला , ऊपर से नीमचढ़ा।"

••● हमारे शरीर में भी दो प्रकार की शक्तियाँ होती हैं। एक जो *गति* देती है , एक जो *नियंत्रण* रखती है।

••● *दोनों शक्तियों का संतुलन ही जीवन को सफल बनाता है। यह संतुलन करने का कार्य ही 'समर्पण ध्यान' में हो जाता है।*

••● आप यह भी कह सकते हो कि *समर्पण ध्यान 'लाईफ का मैनेजमेंट' (जीवनप्रबंधन) करता है।*

•••• यह मैनेजमेंट में असंतुलन आ जाने से निम्नलिखित समस्याओं का निर्माण होता है।

*(१) सहनशीलता में कमी हो जाना :*

••● आजकल युवा वर्ग में सहनशीलता में कमी देखी जा रही है। थोड़ी-थोड़ी बात पर “मेरा दिमाग मत खराब कर” कहते हैं। वह थोड़ा-सा उपदेश भी सुनने को तैयार नहीं होते हैं। *यह याद रखो , आपको उपदेश वही देगा जो आपको प्यार करता है।* रास्ते पर भी छोटी-छोटी बातों पर हत्या हो जाती है। मानो सडक पर 'बम' के गोले ही घूम रहे हैं।

*(२) क्षमाभावना में कमी होना :*

••● आजकल दैनिक जीवन में छोटी-छोटी घटनाएँ होती हैं। उसीको अपनी आज्ञा (आज्ञा चक्र) में पकड़कर बैठ जाते हैं। यही कारण है - आजकल युवा वर्ग का 'आज्ञा चक्र' पकड़ा ही रहता है।

••● *क्षमा करना एक भाव है। अगर आपका भावपक्ष कमजोर है तो आप किसी को 'क्षमा' नहीं कर पाएँगे। कमजोर मनुष्य कभी किसी को ' क्षमा ' नहीं कर पाता है।* यही कारण है - युवा वर्ग में भी 'ब्लड प्रेशर' (रक्तचाप) की बीमारी हो रही है।

*(३) मशीनों से अत्यधिक संपर्क :*

दैनिक जीवन में मोबाईल , घड़ी , लॅपटॉप , टी.वी. , विडियो गेम , कार , मोटर साईकल , कैल्कुलेटर जैसी *मशीनों के संपर्क से भी 'भावपक्ष' कमजोर गया है। आमने-सामने का संवाद समाप्त हो गया है।*

*(४) डिप्रेशन (उदासीनता) की समस्या :*

••● *आज युवा वर्ग की यह सबसे बड़ी समस्या है। इसे कोई भी मशीन ठीक नहीं कर सकती है। यह संवादविहीनता के कारण निर्माण होती है।* किसी भी रबर को ज्यादा तानोगे तो वह टूटेगा ही।

••● *आप खूब ज्यादा अपेक्षा करते हो और जब वह पूर्ण नहीं होती तो 'डिप्रेशन' में चले जाते हो। किसी पर भी श्रद्धा रखो , विश्वास रखो , भाव रखो तो आपके शरीर का भाव कम होगा और आत्मभाव बढ़ेगा। यह शरीर का भाव बढ़ने की समस्या है।*

••● आप राम नहीं हो तो सामनेवाली सीता ही हो , यह अपेक्षा क्यों रखते हो ? आप में भी कुछ बुराइयाँ है , सामनेवाले में या सामनेवाली में भी कुछ बुराइयाँ हैं। आप , किस जगत में जी रहे हो , वह प्रथम टेखो। वैसे ही लोग आपको आस-पास मिलेंगे ही।

••● अपने शरीर की 'सुंदरता' का तनाव भी डिप्रेशन का कारण बन जाता है। *आप 'धूप' में थोडी 'काली' हो गईं तो चलेगा , भीतर का 'चित्त काला' न हो , यह ध्यान रखो।* अपने 'शरीर' का अत्यधिक ध्यान भी हमारे चित्त को नष्ट करता है क्योंकि आज न कल शरीर नष्ट होने ही वाला है। शरीर के भीतर की आत्मा को देखें। *आयने (आईने) में शरीर को सौ बार देखते हो , 'आत्मा' को एक बार भी देखते हो क्या ?*

*(५) मानसिक तनाव और व्यसन की समस्या :*

••● आज अत्यधिक तनाव की समस्या निर्माण हो रही है। आपको आज की व्यवस्था में अत्यधिक 'सेलरी' (तनखाह) और अत्यधिक 'कार्य' का लक्ष्य दिया जाता है। इस कारण नौकरी बदलते भी नहीं आती और नौकरी सहन भी नहीं होती। इसी कारण , इस *काम के तनाव को दूर करने के लिए युवा वर्ग व्यसनों की ओर झुक रहा है।* उम्र होने के पहले ही बूढ़े हो रहे हैं।

*(६) आत्महत्या की समस्या :*

••● सारे मानसिक तनाव का परिणाम आत्महत्याओं का बढ़ता प्रमाण होता है। युवा वर्ग में ही आत्महत्या का प्रमाण अधिक है। *बहुत कम भाग्यवान हैं जिन्हें उचित समय पर उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सका है।*

•••• आत्महत्याओं के दो प्रमुख कारण हैं :

◆ *आर्थिक समस्या* : यह समस्या भी अनावश्यक जोखिम उठाने से निर्माण होती है।

◆ दूसरा कारण है - *प्रेमभंग।* आपको इतना ही कहना है - आपने जीवन पाया माँ और बाप के कारण। उनसे प्राप्त जीवन आप एक 'लडकी' या एक 'लड़के' के नाम से कैसे समाप्त कर सकते हो ? मरना ही है तो माँ-बाप के कारण मरो , किसी अन्य के कारण नहीं।

*(७) तलाक की समस्या :*

••● आज तलाक की समस्या एक बड़ी समस्या बन रही है। कारण है - दोनों में *सहनशीलता की कमी होना।*

••● शादी के बाद आपस में झगड़े होना आम बात है लेकिन उसका एक प्रमाण होना चाहिए। कितना भी झगड़ो लेकिन बातचीत बंद मत करो। दूसरा , 'रात गई , बात गई' वाली बात होनी चाहिए। और अपने पार्टनर (साथी) को सुधारने का प्रयास मत करो। आप अपने-आपको संतुलित कर लो , सामनेवाला वैसे ही संतुलित हो जाएगा।

••● आपकी और आपके पार्टनर की स्थिति सायन्स लॅब (प्रयोगशाला) की यू ट्यूब (U के आकार की नली) के समान होती है। शारीरिक संबंधों की निकटता के कारण , जो अच्छी स्थिति एक को प्राप्त हुई होती है , वह अनायास ही दूसरे को प्राप्त हो जाती है। आप ध्यान करके अपनी स्थिति अच्छी कर लो।

••● दूसरी गलती करते हो कि पार्टनर की स्थिति अच्छी हो , यह प्रार्थना करते हो। इस प्रार्थना से पार्टनर के दोषों पर ही चित्त जाता है। आप ऐसी प्रार्थना करो कि पार्टनर को मैं आसानी से झेलता/झेलती रहूँ , यह 'शक्ति' मुझे प्रदान करो। आप सहनशक्ति माँगो।

*(८) बच्चा न होने की समस्या :*

••● युवा वर्ग में यह एक समस्या भी खड़ी हो गई है। एक तो शादी के नाम से दूर भागते हैं और फिर शादी भी बहुत देरी से करते हैं। और यही कारण से शादी के बाद बच्चे भी नहीं हो पाते हैं। और इस समस्या में अस्सी प्रतिशत युवक ही जिम्मेदार होते हैं। मानसिक तनाव , आर्थिक तनाव , महत्त्वाकांक्षा , इन सबका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। शादी के बाद , बच्चा अभी न हो , इसके लिए उपाय करता हैं और बाद में बच्चा होता ही नहीं है।

■ *यह सभी , युवा वर्ग की समस्याएँ निर्माण हो रही हैं प्रकृति से दूर जाने के कारण।* ध्यान की नियमितता मनुष्य को प्रकृति से जोड़ती है।

■ *समर्पण यानयोग पद्धति को समाज में गुरुओं ने इसीलिए भेजा कि इस पद्धति को अपनाकर युवा वर्ग प्रकृति के साथ जुड़ सके।*

■ *जब ‘युवा वर्ग' इस ध्यान की पद्धति से जुड़ेगा , तभी तो हिमालय के गुरुओं का समाज में पवित्र और शुद्ध माँ-बाप निर्माण करने का लक्ष्य पूर्ण होगा ! !*

■ *आप ही उन गुरुओं की आशा की किरण हो।* उनके , गुरुओं के इस धरती पर आगमन के लिए सबकुछ समय पर होना आवश्यक है। यह गुरुकार्य समय रहते ही हो सकता है। समय निकल जाने के बाद कुछ भी नहीं होगा। बाकी सब बातें जीवन में होते ही रहेंगी।

*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*
दिनांक : २२/१/२०१५

*।। सद्गुरु के हृदय से ।।*
(पृष्ठ : ४९-५७)

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