चैतन्य धारा

हर साल अपना निरीक्षण करो की मेरे आत्मा का क्या प्रोग्रेस हुआ है । और धीरे धीरे सब एटेचमेंट कम करो ।
  
ध्यान में कितनी भी अच्छी स्थिति मिली हो तो वो स्थाई नही हैं । आस पास के विचारों का , आस पास के वातावरण का हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता ही हैं । तो चित्त दूषित होगा ही । चित्त रूपी ग्लास को रोज़ घीसो । याने   "'30 मीनट रोज़ ध्यान "'  ही एक रास्ता हैं ।....... रोज़ का कचरा रोज़ निकालो ।

*4/3/2019*
*के संदेश से*                  

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी