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••● अभी हाल के प्रचारक-शिविर में जो प्रचारक आए थे , उन्होंने सिर्फ आत्मिक उन्नति माँगी , बस और कुछ नहीं।

••● उन्होंने इसमें सबकुछ माँग लिया। क्योंकि यही एक उन्नति है जो गुरु ही दे सकता है। बाकी जीवन की सभी उन्नति तो वे स्वयं ही कर सकते हैं।

••● ऐसा नहीं है कि उनके जीवन में कोई समस्या नहीं थी। समस्या थी , लेकिन उन्हें यह पूर्ण विश्वास था . . .

••● यह गुरुचरण वह स्थान है जो शाश्वत प्रेमशक्ति का स्रोत है। यहाँ वह माँगा जाए , जो शाश्वत है।

••● वह है आत्मिक प्रगति , और एक बार आत्मिक प्रगति जिसकी हो जाए , फिर उसे जीवन में कुछ माँगने के लिए रह ही नहीं जाता है।

••● क्योंकि फिर गुरु की शक्ति से संबंध आत्मिक रूप से स्थापित होने के बाद अपने जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने की शक्ति साधक में स्वयं आ जाती है।

••● इसलिए . . आज मैं बहुत खुश हूँ। आज वास्तव में मुझे वे साधक मिल गए , जिनकी खोज ही मेरे जीवन का लक्ष्य था।

🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹

मधुचैतन्य २००२
जुलाई, अगस्त, सितंबर

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