पूज्य स्वामीजी का युवाओंं को संदेश। क्या होगा अगर युवा मोक्ष का लक्ष्य लेकर जीवन यापन करते है ? जानिए
अब कई बार कई युवकोंं के मन में , कई युवतियों के मन में प्रश्न आता होगा -- क्या स्वामीजी मोक्ष, मोक्ष करते रहते है? लेकिन वास्तव में आप देखो ना , अगर मोक्ष का लक्ष्य लेकर के आप जीवन यापन करते हो तो क्या-क्या चेंज , क्या-क्या बदलाव आपके जीवन में आ सकते हैं बताता हूँ। बहुत सारी समस्याओंं से आप मुक्त हो सकते हो।
पहला ये कि जब आपके पास मोक्ष का लक्ष्य होगा , तो प्रथम ये कि आप नियमित ध्यान करोगे। नियमित ध्यान करोगे तो क्या होगा ? ध्यान करते-करते , करते-करते आपके अंदर शरीर का भाव कम हो जाएगा। शरीर का भाव कम हो जाएगा तो आत्मा का भाव बढ़ जाएगा और आत्मा का भाव बढ़ जाएगा तो कई फायदे हैं।
एक तो मन की एकाग्रता बढेगी जो आपके व्यवसाय में , आपके नौकरी में आपके काम आ सकती हैं।
दूसरा , आपकी गुणग्राहकता बढेगी। गुणग्राहकता याने रिसिविंग, आपके ग्रहण करने की क्षमता। अगर कोई चार घंटे में ग्रहण करता है , आप दो घंटे में करोगे। तो आपकी गुणग्राहकता बढेगी। ग्रहण करने की क्षमता बढेगी।
तिसरा , आप स्वस्थ रहोगे, तंदुरुस्त रहोगे।
और चौथा , आपका जीवन दुर्घटनारहित रहेगा। जब आप ध्यान करोगे , मेडीटेशन्स करोगे तो आपके पास आपका आभामंडल बनेगा, आपका ऑरा बनेगा जो कोई भी दुर्घटना से आपको बचाएगा। दूसरा , आत्महत्या का विचार भी आपके मन में नहीं आएगा। युवकोंं की , युवतीयों की ये आत्महत्या एक समस्या है। दूसरा , नेचर भी कैसे balance करता है , वो देखो आप। इधर जन्म दर भले ही लडकियों की कम हो लेकिन मृत्यु दर लडकोंं की ज्यादा है। यानी दुर्घटना में युवकोंं की मृत्यु होती है , आत्महत्या करने में युवक रहते हैं। तो ध्यान करोगे , मेडीटेशन्स करोगे तो कभी आपने-आपको अकेले महसूस करोगे ही नहीं। आत्मा कभी हत्या नहीं करता। शरीर आत्महत्या करता है। तो जब आप अपने-आपको आत्मा समझोगे तो आप आत्महत्या भी नहीं करोगे।
दूसरा , आप इतने पवित्र हो जाओगे , इतने शुद्ध हो जाओगे कि आप गुरुओंं के गुरुओंको जन्म देने के माध्यम बनोगे। इससे बडा गुरुकार्य ना कोई है ना कोई कर सकता है। और आप ही के लिए ....... ये 'समर्पण ध्यानयोग' समाज में लाया गया है। तो एक अच्छे गुरु का जन्म .. का माध्यम आप बने , आप गुरुओंं के गुरु की माँ बने , गुरुओं के गुरुओंं का बाप बने तो इससे बडा सौभाग्य क्या हो सकता है। आपका रोल ना , सिर्फ यहींं तक है। इसके बाद में आगे जन्म लेनेवाली आत्मा ही सब कुछ देख लेगी।
एक शांति के साथ , एक समाधान के साथ संपूर्ण जीवन जगोगे (जिओगे)
और आखिरी में आध्यात्मिक मृत्यु को प्राप्त होगे। आध्यात्मिक मृत्यु वो मृत्यु है जिसके बाद में कोई जन्म नहीं है।
मधुचैतन्य मार्च २०१५ पृष्ठ:२५
महाशिवरात्रि १७ फरवरी २०१५
*पूज्य स्वामीजी--*
Comments
Post a Comment