आत्मसाक्षात्कार से बडा कोई समाजकार्य नही है ।
जैसी स्थिति परमात्मा ने मुझे दी है ,गुरुकृपा में मुझे प्राप्त हुई है ,मेरे सरीखी स्थिति प्रत्येक मनुष्य मात्र को दे ,ऐसा संकल्प उस मूर्ति के अंदर प्रवाहित किया गया है । कोई भी व्यक्ति ,कोई भी मनुष्य आकर के उससे आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकता है । ये अद्वितीय है ! और आत्मसाक्षात्कार से बडा कोई समाजकार्य नही है । . . .
✍..बाबा स्वामी
Comments
Post a Comment