अनमोल पत्थर
महाशिविर तथा स्वामीजी के अनेक कार्यक्रमों में हजारों लाखों लोगों को मन की शांति का अनुभव होता है । हम साधकों को एक बार नहीं , अनेक बार बल्कि प्रत्येक बार ऐसा अनुभव हुआ ही है । भला हजारों लोगों की मन की अशांति कहां गई? उच्च रक्तचाप B.P.मधुमेह डायबिटीज कम कैसे हुए ? वास्तव में ,स्वामी जी की देह वेक्यूम क्लीनर की तरह कायँ करती है । वैक्यूम क्लीनर भौतिक कचरा ,धूल ,मिट्टी खींच लेता है । ठीक इसी प्रकार से , स्वामीजी की देह हजारों लाखों साधकों / लोगों के विचार रूपी दोष शोषित कर लेती है। देह....... कर लेती है, कहना गलत होगा क्योंकि यह प्रक्रिया घटित होती है । स्वामी जी का आभामंडल अत्यंत विशाल है। अंतः कार्यक्रम में पधारा हुआ लाखों का जनसमूह भी उनके आभामंडल में ही होता है । इस प्रकार आभामंडल में बैठे हुए लाखों लोगों के विचार , दोष दूर होते हैं । स्वामी जी के पास देहरुपी थैली एक ही है । सभी के आभामंडल के दोष स्वामी जी के स्थुल शरीर सानिध्य में स्वामी जी के आभामंडल में स्थानांतरित हो जाते है । जब स्वामी जी को एकांत मिलता है , तब ध्यान द्वारा वे अपना आभामंडल स्वच्छ कर देते हैं । सोचिए ,सोचिए