श्री शिवकृपानंद स्वामी
*'श्री शिवकृपानंद स्वामी' यह नाम ही 'विश्व में युनिक' है। इस नाम का दुसरा कोई 'शरीर' नही है। यह नाम साक्षात विश्वचेतना ने बनाया है।* अपने सभी गुणों को एक सामान्य से सामान्य मनुष्य भी ग्रहण कर सके इस उद्देश से यह नाम का निर्माण किया है। यह नाम नहीं है, 'साक्षात चैतन्य' है। अगर आप संपूर्ण शुद्ध, पवित्र भाव के साथ इसका उच्चारण करते हैं तो 'आत्मा' के सारे गुण आपमें आने लगते है और शरीरभाव पूर्णतः समाप्त हो जाता है। इसकी दुसरी विशेषता है, यह आज के वातावरण, आज की परिस्थिती में सामान्य से सामान्य मनुष्य कैसे अध्यात्मिक प्रगती कर सके, यह सोचकर बनाया है। आप इस नाम को बुद्धि से न समझेंं। आप इस नाम को भावा से लेकर खुद ही अनुभव कर लें।
*सत्य का अविष्कार पृष्ठ:२६*
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