गुरुकार्य करने के पहले

गुरुकार्य करने के पहले आप आपका चित्त पवीत्र और सशक्त करे ताकी आपके आभामण्डल में  सामनेवाले का चित्त थोडे समय के लिये क्यों न हो भीतर चला जाए और सामनेवाले मनुष्य को एक अनोखी शांति का अनुभव हो।

                        -----पूज्य स्वामीजी

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