भाग्यवान आत्माएँ
" वे आत्माएँ कितनी भाग्यवान होंगी जिन्हे तुम्हारे साथ कार्य करने का अवसर मिलेगा , तुम्हारे सानिध्य में रहनेका अवसर मिलेगा , और वो आत्माएँ अपने शरीर में रहते हुए तुम्हे मान पाएँगी ! क्योंकि मानना आत्मा का भाव हैं । आत्मीय स्तर पर मानना बहुत बड़ी घटना हैं । क्योंकि शरीर में रहते हुए शरीर के दोष बीच में आ ही जाते हैं । शरीरधारी आत्मा का चित्त सदैव शरीर पर ही होता हैं , परमात्मा पर नही । "
*✍-पूज्य श्रीनाथ बाबाजी*
*ही .का .स .योग -1 - 467*
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