गुरुचरण

चरण-स्पर्श करना आसान है, किंतु गुरुचरणों में चित्त रखना कठीण है। मानव-स्वभाव है , आसान मार्ग चुनना। इसलिये लोग चरण-स्पर्श करने के लिए प्रेरित होते हैं , किंतु वास्तविकता यह है कि चित्त द्वारा गुरु की चरण-वंदना की जानी चाहिए।

मधुचैतन्य जनवरी २००५/१०

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