प्रत्येक साधक मे
प्रत्येक साधक मे आपको मेरे दशॅन होने चाहिए । प्रत्येक साधक मे कुंडलिनी जागृति के दरम्यान मेरा सुक्ष्म अंश संक्रमित होता है, जिससे वह मेरे साथ सुक्ष्म रूप से जूड जाता है ।इस प्रकार मेरा सूक्ष्म शरीर अनेक साधको मे बॅटा हुआ है ।इसी कारण से यदी आप कीसी साधक की बुराई करते है , उसमे दोशो के दशॅन करते है या उसका अपमान करते है, तो आप उसके जरीये मुझे ही ऐसा भाव देते है ।अगर उससे आप अनजाने मे सभी साधको का अपमान कर देते है क्योंकि मै सूक्ष्म रूप से सभी साधकों से जुडा हुआ हू ।किसी साधक के अपमान आदी से मुझे अधीक तकलीफ होती है।आप इस बात को ध्यान मे रखते हूए सभी के साथ प्रेम, आदर और आत्मीयता से जुडे ।इससे आपको अधिक शक्ति मिलेगी, जो आपको आध्यात्मिक मागॅ मे आगे ले जाने के लिए सहायक होगी । इसे ठीक ऐसे समझाया जा सकता है, जैसे एक खुंटे से अनेक रस्सीया बंदी हुई है और आप उनके सहारे ऊपर चढना चाहते है । यदी आप एक रस्सी के सहारे ऊपर जायेंगे, तो वो कमजोर पडेगी ।परंतु यदी आप अधीक् रस्सी या इकठ्ठी करके ऊपर चढने का प्रयत्न करोगे, तब मजबुत और शक्तिशाली होनेसे जल्दी प्रगति होगी ।
बाबा स्वामी
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