करुणा भाव
•• शरीर भाव समाप्त होने पर आत्मा भाव जागृत हो जाता है और आत्मा के गुण विकसित होने लगते हैं ।
•• आत्मा के प्रमुख गुण में एक है__
-- 【करुणा भाव】--
••◆ आत्मा का यह एक बड़ा ही अच्छा गुण है ।
••◆ आत्मा की शुद्धता के साथ साथ करुणा का गुण भी विकसित होता है ।
••◆ कुछ समय के बाद तो करुणा करना स्वभाव ही हो जाता है ।
••◆ इसमें हमें दया और करुणा में भी अंतर को समझना आवश्यक है ।
••◆ दया शरीर से की जाती है ।
••◆ दया करना शरीर से होता है ।
••◆ अहंकारी व्यक्ति भी दया कर सकता है ।
••◆ लेकिन अहंकारी व्यक्ति करुणा नहीं कर सकता है ।
••◆ करुणा का संबंध विशुद्ध आत्मा भाव से होता है ।
••◆ आत्मा सशक्त व शुद्ध हुए बिना किसी से करुणा करना संभव नहीं है ।
••◆ करुणा शब्द थोड़ा सा प्रार्थना के करीब का है ।
••◆ दया की हुई दिख सकती है क्योंकि वह शरीर से होती है ।
••◆ करुणा की हुई दिखती नहीं है पर जिस पर की जाती है वह केवल उसे ही अनुभव होती है ।
••◆ वह बीच में किसी को नहीं दिखती है ।
••◆ करुणा करने के लिए आपकी स्वयं की आध्यात्मिक स्थिति की आवश्यकता होती है ।
•• परमपूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
••स्त्रोत-- ``सत्य का आविष्कार``
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