स्वामीजी के सानिध्य मे अजमेर की युवाशक्ति की मीटिंग
कल 18-7-2019को बाबा स्वामीजी के सानिध्य मे अजमेर की युवाशक्ति की मीटिंग हुई। उसी मे याद बाते आप सभी के साथ शेयर कर रहा हू।
1- यह प्रथम गुरुपूर्णिमा रही जिसमे 8000साधको ने रजिस्ट्रेशन कराया , पिछला सर्वाधिक रजिस्ट्रेशन संख्या6000की थी।
2- मीटिंग मे साधक श्री राकेशसोलंकी जी द्वारा डिस्पोजल आइटम के बजाय, प्रत्येक साधक अपने साथ 1थाली,2ग्लास,चम्मच और कटोरी अपने साथ लाये तो आश्रम मे डिस्पोजल आइटम का न्यूनतम प्रयोग करके आश्रम की स्वच्छता बनाये रखने मे मदद मिलेगी।
यह सुझाव राकेश जी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
3- स्वामीजी ने बताया, कि - नेपाल का एम्बेसेडर बनने पर गुजरात के मुख्यमंत्री और सांसद द्वारा स्वामीजी का सम्मान किया जाऐगा। लेकिन अभी डेट नही मिल रही है। स्वामीजी ने बताया,कि-अभी हाल ही कनाडा का दौरा होना वाला है,उसके बाद ही डेट मिलेगी।
4- स्वामीजी ने कार्यक्रम मे सभी साधको का नाम परिचय जाना और बताया कि आप लोग अलग-अलग जगह से है ,तो- अपने गांव का नाम अपने नाम के साथ लगाये ।
लेकिन सभी ज्यादातर साधक अजमेर के ही थे इसलिऐ स्वामीजी ने बताया कि नाम के साथ अजमेर लगाने की जरुरत नही है।
5- स्वामीजी ने यह भी जाना, कि - मीटिग मे उपस्थित साधको मे कितने साधक टेलीग्राम एप पर "समर्पण संदेश" चैनल से जुडे है?
और यह जानने के बाद स्वामीजी ने इस चैनल से जुडने के लिऐ साधको से इच्छा जाहिर की।
चैनल पर सुबह 4बजे आपको मेरा संदेश मिल जाऐगा। सुबह संदेश पढने के लिए भी उठने का अच्छा माध्यम मिल जाएगा(हंसते हुए)।
कल की युवा मीटिग के बाद स्वामीजी के सानिध्य मे फोटोशूट भी हुआ।
युवा साधको की मीटिंग के बाद ही "स्वामीजी ने स्वयं के श्री करकमलों द्वारा" प्रत्येक साधक को प्रसाद वितरण भी किया।
6- स्वामीजी ने श्री संदीप शर्मा जी का भी आभार व्यक्त किया।
7- स्वामीजी-- पुलिस कि स्थिति कचरे बीनने वालो से भी अधिक दयनीय है। स्वामीजी ने यह भी बताया, कि- पुलिस वाले नहाते है,ताकि स्वयं के शरीर से बदबू नही आये स्वस्थ रहे। यह वह पर्सनल मानते है, तो ध्यान को भी पर्सनल मानकर रोजाना ध्यान करना चाहिऐ।
"ध्यान चित्त का स्नान है।"
अजमेर के श्री गुरुशक्तिधाम के पुराने स्थान के बारे मे भी स्वामीजी ने निर्देश दिया, कि- उसके एकदम खाली मत करो; क्योकि सभी साधको को मालूम नही है न,कि-मंगलमूर्ति अरडका आश्रम मे आ गयी है। उन साधको को अरडका आश्रम का भी नही मालूम कि कहां पर है,?
आगे जो भी बिन्दु मुझे याद आयेगे,आपके साथ शेयर कर सकूंगा इसी शुद्ध इच्छा के साथ अपन सभी को जय बाबा स्वामी🤗
।।जय बाबा स्वामी।।
बिन्दु8- स्वामीजी ने यह इच्छा जाहिर की,कि-"गुरु पूर्णिमा महोत्सव" की शुरुआत सुबह से किया करेंगे।
मतलब इस बार 14जुलाई को दोपहर2:30 बजे से कार्यक्रम प्रारम्भ किया,इसकी बजाय 13तारीख की शाम तक सभी साधक आश्रम मे आ जाये और अगली सुबह 14 तारीख से गुरुपूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत हो।
9- स्वामीजी ने बताया कि समझौता का मतलब क्या होता है?
कुछ हम दे, कुछ तुम दो।
अर्थात-स्वामीजी को नेपाल ने एम्बेसेडर बनाया है,तो स्वामीजी भी नेपाल को कुछ दे मतलब स्वामीजी भी नेपाल के ऐम्बेसेडर के रुप मे अपना कर्तव्य निभाये।
10- स्वामीजी ने यह इच्छा जाहिर की,कि-अब हर मीटिंग अरडका आश्रम मे रखो।
मतलब, मीटिंग के निमित्त से आश्रम मे आओगे तो मंगलमूर्ति के दर्शन भी करने को मिलेंगे और मीटिंग भी हो जाऐगी। अब आप लोगो के पास मीटिंग के हेतु बैठने की जगह भी है। इसलिऐ मीटिंग आश्रम मे रखो ।
11- साधको ने गुरुमाऊली संबोधन के साथ गुरुशक्तियो को धन्यवाद भी दिया, कि- स्वामीजी, आश्रम मे आपके आने के पूर्व शंसय था,कि- इतनी कम तैयारियो गुरुपूर्णिमा महोत्सव कैसे हो पाऐगी?
लेकिन आपकी क्रपा से ही यह गुरुपूर्णिमा सम्पन्न हो पाई। गुरुदेव इतनी अच्छी क्रपा बरसाने हेतु आपको कोटि -कोटि नमन।
12- साधको ने स्वामीजी से प्रार्थना की,कि- गुरुदेव क्रपा करो,गुरुदेव क्रपा करो।
जबाव मे- स्वामीजी ने बताया कि गुरुक्रपा तो गुरुक्रपा तो गुरुकार्य मे छिपी हुई रहती है।
गुरुक्रपा के लिऐ, गुरुकार्य को पकड लो।
स्वामीजी-- मै अपने गुरुओ से कहता रहता हू क्या? क्रपा करो, क्रपा करो।
उनके कार्य को पकड लिया ।
उनकी क्रपा अपने आप बरसती रहती है।
13- स्वामीजी ने जब पंक्तिबद्ध साधक/साधिकाओ से नाम से परिचय लेना शुरु किया तो, शुरुआत साधिकाओ से हुई!
साधिकाओ ने स्वयं के नाम सहित परिचय देना शुरु किया तो!
स्वामी जी ने हंसते हुए कहा-सारा देवालय यही बैठा है😄।
दर असल साधिकाओ का नाम- दिव्या, आस्था, सविता,मेघा,शिखा इत्यादि है, इन्ही नाम से परिचय प्रारम्भ हुआ था तो स्वामीजी के इस व्यंग्य से सभी आत्माऐ मीटिंग मे प्रसन्नचित्त हो गये👦👧👨👩
14- साधको ने स्वामीजी की आग्या पाकर स्वय के प्रश्न भी पूछ लिऐ।
साधक का प्रश्न- स्वामीजी मुझे कुछ याद नही रहता?
स्वामीजी ने कहा- तुम्हारा विशुद्धी चक्र पकडा हुआ है। तुम्हे घर पर गधा कहते है क्या?
साधक- नही।
स्वामीजी- मतलब गधा नही और ऐसा कुछ। मतलब तुम्हारे बडे भाई की प्रशंसा करते है पर तुम्हारी नही।तो तुम्हे लगता हो कि मेरी प्रशंसा नही हो रही इसी के चलते तुम आत्मग्लानि करते हो?
साधक- वो मेरे मामा कहते है, तू पढता नही है !!!
स्वामीजी- आ गई न बात(हसते हुऐ)।
तुमसे शिकायत करते रहने के कारण,तुम्हारी खुद की आदत मे आ गया है कि तुम मे कमी है! तुम्हारे इसी विचार के कारण तुम्हारा विशुद्धि पकडा हुआ है। तुम उनकी शिकायत की तरफ ध्यान मत दो। और खुद के विचार मजबूत बनाओ,तुम खुद को जैसा समझोगे लोग तुम्हे वैसा ही एहसास कराते रहेगे। बैठ जाओ।
यहा पर मै खुद का ऐसा ही अनुभव आपके साथ शेयर कर रहा हू।
मै भी अपने मामाजी के पास रहता हू। समर्पण ध्यान की साधना मैने स्वामीजी के प्रवचन "एफ एम 91.9" पर सुनकर प्रारम्भ कर दी थी। मुझे किसी ध्यान सेन्टर का पता नही था।
ध्यान साधना भी अच्छी चल रही थी।
मेरी मामाजी , मुझे कभी किसी का भी मोबाइल नम्बर कोपी मे लिखने को कहते थे मुझसे गलतिया(काटा पीसी) होती ही थी!
कारण -मुझसे जब कभी यह कार्य कराया जाता था, तो- मामाजी यह वाक्य जरूर कहते थे, नम्बर ठीक से लिखना काटा पीसी बिल्कुल मत करना।
मेरा ध्यान मे यही रहता काटा पी सी नही करनी है,मौझसे काटा पीसी हो जाती थी।
मतलब केवल 10अंक को मोबाइल लिखने मे मुझसे हर बार गलती होती थी😀😁😅😆।
आज के लिऐ बस इतना ही आप सभी को खूब खूब जय बाबा स्वामी।
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