गुरुपूर्णिमा महोत्सव आत्माओं का उत्सव
गुरुपूर्णिमा महोत्सव आत्माओं का उत्सव है।आपके शरीर के भीतर जो परमात्मा का अंश है। आत्मा है, आज उसके उत्सव का दिन है। वह आत्मा आपका गुरु है। उसी गुरु का आज उत्सव है। आज उसी गुरु को याद करके उसका पूजन करते हैं । उसी गुरु को याद कर हम प्रार्थना करते हैं । उसी गुरू को याद करते हम अपनी कूतज्ञता व्यक्त करते हैं । यह साल भर उसने हमें एक सहज मार्गदर्शन दिया है, एक सही रास्ता बताया है । वह , आप बोले या न बोले , आप सुनें या न सुनें , आप उसके बताए मार्ग पर चार्ले या न चार्ले , प्रत्येक परिस्थिति में आप भले ही उसे छोड़ दे , वह आपको कभी नहीं छोड़ता है । वह प्रत्येक समय , क्षण-क्षण में आपको बराबर बताते रहता है - क्या करना उचित है और क्या करना उचित नहीं है । बराबर मार्गदर्शन करता है , बराबर सलाह देता है। वह आत्मा , परमात्मा का अंश है । वह आत्मा , आत्मा नहीं है । वह परमात्मा ही है । परमात्मा उस आत्मा के माध्यम से , उस आत्मा के मिडिया से , आपको आने वाले प्रत्येक संकट की सुचना देता है । प्रत्येक आने वाली गतिविधि का अध्ययन करके बताता है । फिर मानना , न मानना आप पर छोड़ देता है । कोई जबर्दस्ती नहीं है । कोई प्रतिबंध नहीं है की आप उसकी बात मानें ही । आप मान भी सकते हैं , नही भी मान सकते हैं ।
गुरुपूर्णिमा 2002 नवसारी
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