समर्पण ध्यान सर्वश्रेष्ठ है , पर हमें दूसरी कोई भी ध्यान पद्धतियों की निंदा नहीं करनी चाहिए।
नियमित ध्यान करना ही सबकुछ नहीं है , पर उसका असर हमारे दैनिक जीवन में होना आवश्यक है। जीवन में विपरीत परिस्थितीयों में भी हमें शांत रहकर निराकरण करना चाहिए।
समर्पण ध्यान सर्वश्रेष्ठ है , पर हमें दूसरी कोई भी ध्यान पद्धतियों की निंदा नहीं करनी चाहिए।
*मधुचैतन्य अप्रैल २००६*
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