गुरुपूर्णिमा महोत्सव - २०१६
आत्मसाक्षात्कार भी दो प्रकार के साधकों को मिला है। कैसे, मैं बताता हूँ। एक साधक वो जिन्होंने पूर्वजन्म में पुण्यकर्म किए थे। उनके अच्छे कर्मों के कारण फलस्वरूप उनको आत्मसाक्षात्कार मिला। उनको चाहिए भी नहीं था। उनकी इच्छा भी नहीं थी। लेकिन उनको मिल गया। तो इस जन्म में उनको आत्मसाक्षात्कार मिला है, अगले जन्म में वो साधना करेंगे। क्योंकि आप देखो न, आत्मसाक्षात्कार मिल करके भी साधना नहीं हो रही है। इसका अर्थ है हमको इच्छा ही नहीं थी आत्मसाक्षात्कार की। वो तो पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण हमको मिल गया। तो अगर आपसे नियमित साधना नहीं हो रही तो आप इस केटेगरी के साधक हैं। आपकी कोई इच्छा नहीं थी, आपने कोई साधना नहीं की थी, आपने कोई तप नहीं किया था पूर्वजन्म में कि आपको आत्मसाक्षात्कार मिले। लेकिन फिर भी मिल गया, वो पुण्यकर्मों के कारण मिला। और *कोई साधक ऐसे हैं, जिन्होंने पूर्वजन्म में साधना की थी, तपस्या की थी, इच्छा की थी, भाव रखा था की मुझे आत्मसाक्षात्कार मिलना चाहिए, उनको इस जन्म में मिला है। उनको उनकी कीमत मालूम है। और उसी के कारण वो ध्यान कभी भी नहीं छोड़ेंगे। प्राण छोड़ेंगे, ध्यान नहीं छोड़ेंगे।* तो आप किस कॅटेगरी में हो आप आपका अंदाजा लगा लो। आत्मसाक्षात्कार सब कुछ नहीं है। तो हो सकता है आप पहली कटेगरी में हो कि *आपको आत्मसाक्षात्कार मिलने के बाद भी आत्मसाक्षात्कार की वेल्यु, आत्मसाक्षात्कार की कीमत पता नहीं है।* और इस जन्म में फिर आप अलग-अलग परिस्थिति के कारण नियमित ध्यान नहीं कर पा रहे हैं। तो अगले जन्म में आपको ही मार्गदर्शन देने के लिए, आपको ही गाईडन्स देने के लिए गुरुशक्तिधाम काम आएगा। देखो, *लेकिन याद रखो, जब दिन के उजाले में, दिन के प्रकाश में तुम ठीक से नहीं चल पा रहे हो तो कल आनेवाले अँधेरे में कैसे चलोगे ?* आवश्यकता है वो सब चीजों को जानने की, वो सब चीजों को पहचानने की और उसे पहचानने के बाद में उस आत्मसाक्षात्कार का महत्व समझने की। अगर ऐसे समझोगे, ऐसे करोगे तो आपका जीवन सफल होगा।
*🌹H. H. Swamiji🌹*
*गुरुपूर्णिमा महोत्सव - २०१६ , पुनडी (कच्छ)*
मधुचैतन्य - २०१६ (पृष्ठ २५)
सितंबर , अक्टूबर
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