ध्यान में गुरुमंत्र के पहले 'मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ' यह प्राथमिक मंत्र गुरुशक्तियों ने क्यों दिया है? जानीये।
ध्यान में गुरुमंत्र के पहले 'मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ' यह प्राथमिक मंत्र गुरुशक्तियों ने क्यों दिया है? जानीये।👇🏻
गुरुपुर्निमा के 'पावन पर्व' पर साधक , *श्री शिवकृपानंद स्वामी नमो नमः* का गुरुमंत्र ग्रहण करते हैं। यह मंत्र एक पवित्र आत्मा ने एक 'पवित्र आत्मा' को प्रदान किया होता हैं। जब तक आत्मा कर्मबंधनोंं से मुक्त नहीं होती तब तक इस मंत्र का संपूर्ण प्रभाव अनुभव नहीं होता है। यानी इस मंत्र से आध्यात्मिक प्रगति के लिए प्रथम 'पवित्र आत्मा' बनना आवश्यक होता है। आत्मा को पवित्र करने की दृष्टि से ही गुरुशक्तियों ने प्राथमिक मंत्र दिया कि *'मैं एक पवित्र आत्मा हूँ , मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ*, ताकि प्रथम , साधक की आत्मा कर्मबंधनोंं से मुक्त हो सके और बाद में ही *गुरुमंत्र* का प्रभाव उसके जीवन पर पड़ सके।
*सत्य का आविष्कार*
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