चैतन्य महोत्सव २००९ के कुछ अंश

🔹 कई बार मैं महसूस करता हूँ कि साधकों के साथ तो मैं प्रत्येक क्षण रहता हूँ , साधक मेरे साथ बहुत कम क्षण रहते हैं , कम बार रहते हैं , कम समय रहते हैं।
🔹आप आपका ही अवलोकन करो ना। कितनी देर ध्यान करते हो , कितने समय ध्यान लगता है , कितने समय सेंटर पर जाते हो और कितने समय सेंटर पर लोगों में चित्त रहता है।
🔹सेंटर पर आप ध्यान करने के लिए जा रहे हो , दूसरे साधकों में चित्त डालने के लिए नहीं।

🔸आप आपका अवलोकन करो ना_!!

🔹कई बार आपके सेंटर पर जाने के कारण , कई बार आपका ध्यान के कार्यक्रम में आने के कारण , हो सकता है कोई घर के रिश्तेदार , कोई घर के लोग , आपको डाँटे , आपको गालियाँ दें या मेरे को भी गालियाँ दें , देते हैं , मुझे मालूम है।
🔹यह ऐसा क्यों होता है , कभी सोचा है ? वे लोग मुझे गालियाँ क्यों देते हैं , मालूम हैं ?
🔸उसके दो कारण है।
🔹एक तो , जो अपेक्षित परिणाम तुम्हारे में चाहिए , वे परिणाम उनको नजर नहीं आ रहे हैं।
- लेकिन ध्यान कर रहे हो कि नहीं , ध्यान कर रहे हो , मेडिटेशन कर रहे हो ,
- तो तुम्हारे में एक तब्दीली चाहिए ,
- तुम्हारे अंदर एक चेंज चाहिए ,
- तुम्हारे अंदर एक बदलाव चाहिए
- वह बदलाव , वे घर के लोग नहीं देखते।
▪▪ वे सोचते हैं ध्यान करके भी क्या फायदा ?

🔹यह तो वैसे ही चिड़-चिड़ करती है , वैसे ही गुस्सा करती है या वैसे ही गुस्सा करता है। तो तुम्हारे अंदर कोई बदलाव नहीं है , तुम्हारे अंदर कोई चेंज नहीं है और इसी कारण वे लोग मुझे गालियाँ देते रहते हैं।

▪▪और दूसरा ,
🔹मुझे गालियाँ देने पर तुम लोग चिड़ते हो।
- और तुमको चिड़ाने में उनको मजा आता है।
- और तुम अगर रिस्पॉन्स (प्रत्युत्तर) देना बंद कर दो , तुम्हारी प्रतिक्रिया बंद कर दो , शांत रहो , कुछ उस पर प्रतिक्रिया देने की . . . . अच्छी भी मत दो , बुरी भी मत दो_ - कुछ भी मत दो।
🔸तो आप देखोगे धीरे-धीरे यह सबकुछ बंद हो जाएगा।
- थोड़ा समय आप मेरे साथ बिताओ ,
- एकांत में बिताओ ,
- आत्मा के साथ बिताओ।
🔹आत्मा वह माध्यम है_ जिस माध्यम से परमात्मारूपी उस सामूहिक शक्ति तक पहुँच सकते हो , उस कलेक्टिविटी तक पहुँच सकते हो , उस स्थान तक पहुँच सकते हो , उस जगह तक पहुँच सकते हो , जिस जगह को तुम भी पाना चाहते हो , तुम भी जाना चाहते हो।
■ और खूब ज्यादा साधक , नॉन-साधक इसका भेद-भाव मत रखो।
- सबसे पहले जानो कि हम मनुष्य हैं।
- मनुष्य धर्म सर्वोपरि है।
- तो पहले अच्छे मनुष्य बनो ,
- अच्छे इन्सान बनो , साधक बाद में।
🔹 एक अच्छा इन्सान , एक अच्छा मनुष्य अच्छा साधक बन सकता है ,
•• लेकिन आवश्यक नहीं कि अच्छा साधक अच्छा मनुष्य बने_!!!!

🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹

चैतन्य महोत्सव २००९ - समर्पण आश्रम , दांडी

मधुचैतन्य (पृष्ठ : २०,२१)
अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर - २००९

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