ध्यान गया तो तुम्हारा यह जीवन ही गया
॥जय बाबा स्वामी॥
धन गया तो कुछ गया , स्वास्थ्य गया तो सब गया और मैं कहता हूँ ध्यान गया तो तुम्हारा यह जीवन ही गया। ये जीवन बेकार है। अगर ध्यान नहीं है न , तो जीवन पूरा बरबाद है , बेकार है। तो ध्यान को मत छोडो , नियमितता जीवन के अंदर लाओ। रोज नियमित ध्यान होना ही चाहिए। कैसे टाईम निकालाने का है , आप आपका देखो।
तो जिस प्रकार से समर्पण ध्यान के कुछ फायदे हैं तो ये समर्पण ध्यान के कुछ बंधन हैं। समर्पण ध्यान के कुछ नियम हैं। वो सीमा के साथ में रहकर ही आप इसमें प्रगति कर सकते हो , आगे प्रोग्रेस करते हो। उसका सबसे पहला नियम है, शुद्ध भाव लेके आओ , कोई भी अपेक्षा लेकरके ध्यान में मत आओ। समर्पण ध्यान की चौकट में नियमितता आवश्यक है , ठीक उसी प्रकार से सामूहिकता भी उतनी ही आवश्यक है। ये दो पहियों के ऊपर ये समर्पण ध्यान का रथ चलता है। उसके अंदर पहला पाहिया है नियमितता और दूसरा पहीया है सामूहिकता।सामूहिकता में ध्यान होना अत्यंत आवश्यक है, सेंटर पे जाना अत्यंत आवश्यक है।
पूज्य स्वामीजी (८ नवम्बर २०१३)
*मधुचैतन्य अक्टूबर २०१३ पृष्ठ:१६*
॥आत्मदेवो भव:॥
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