एक ही मार्ग है - समर्पण भाव
*◆ बुरी आत्माएँ कमजोर शिष्यों से सकारात्मक उर्जा प्राप्त करती हैं। ◆*
••◆ बुरी आत्माएँ कमजोर और आत्मग्लानि से युक्त मनुष्यों को ढूँढकर माध्यम बनाती हैं जो अपने जीवन में संपूर्ण निराश होते हैं। ऐसे हताश , निराश मनुष्य को बुरी आत्माएँ अपना माध्यम बनाती हैं।
••◆ *ऐसे शिष्य भी इसके शिकार हो सकते हैं जो अपने पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण इस जन्म में गुरुसान्निध्य प्राप्त कर रहे हैं लेकिन साधना नहीं कर रहे हैं ; उसका चित्त और कहीं है।* ऐसा शिष्य उनका आसान शिकार होता है क्योंकि यह माध्यम गुरु के करीब का होता है , गुरु का ध्यान यह अपनी और कर सकता है।
••◆ *गुरु तो इसको पहचान जाएगा पर शिष्य नहीं पहचान पाएँगे* और वे इस माध्यम के बारे में विचार करेंगे कि उसने ऐसा क्यों किया ? बस एक बार बुरी आत्मा का माध्यम बने व्यक्ति पर ध्यान गया तो फिर वह शिष्य उसी से चिपक जाएगा और उसे उस मनुष्य के विचार आएँगे।
••◆ यानी बुरी आत्माएँ किसी शरीर के माध्यम से चिपकेंगी और शिष्य को पथभ्रष्ट कर सकती हैं।
••◆ इसलिए , *अच्छी स्थिति पाना और अच्छी स्थिति बनाए रखना अत्यंत कठिन है। इसका एक ही मार्ग है - समर्पण भाव ।*
••◆ *हम अगर ध्यान नियमित करते हैं और सामूहिकता के साथ जुड़े रहते हैं तो ऐसी स्थिति से बच सकते हैं।*
••◆ बुरी आत्माएँ कमजोर शिष्यों को इसलिए माध्यम बनाती हैं *क्योंकि वे ही बन सकते हैं।*
••◆ जिस प्रकार से पुराने जमाने में एक राजा दूसरे राजा के किले पर हमला करता था तो पहले यह खोजता था की किले का कौनसा दरवाजा कमजोर है और बाद में किले के उसी कमजोर दरवाजे पर हमला करके किले में प्रवेश करता था , यह भी ठीक ऐसा ही है।
••◆ *जो कमजोर साधक हैं यानी जो साधना में ही स्वार्थ से आए हैं , अहंकार से आए हैं , ऐसे साधक ही बुरी आत्माओं का माध्यम बनते हैं।* और बाद में ऐसे कमजोर साधकों को माध्यम बनाकर बुरी आत्माएँ अन्य सभी साधकों का चित्त आकर्षित कर सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करती हैं।
*।। हिमालय का समर्पण योग - भाग ४ ।।*
(पृष्ठ : १२४,१२५)
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