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••◆ कई बार आप जीवन में देखते हैं, किसी कठिन समय पर , आपके जीवन की किसी कठिन घड़ी में आप परमात्मा को याद करते हैं , परमेश्वर को याद करते हैं और परमात्मा से उस संकट से निकालने के लिए प्रार्थना करते हैं। एक बार करते हैं , दो बार करते हैं , तीन बार करते हैं , फिर भी समस्या दूर नहीं होती। और बार-बार की गई प्रार्थना भी फलीभूत ना होती देख आप टूट जाते हैं। और आप नहीं टूटते , आपके अंदर का 'मैं' टूट जाता है।

••◆ अरे , परमात्मा कोई तुम्हारा नौकर है कि तुम उसको आर्डर (आदेश) दोगे और वह कार्य कर देगा !!

••◆ इसलिए जब तक आपके 'मैं' के साथ आप प्रार्थना करते हैं , प्रार्थना फलीभूत नहीं होती। और आप देखो किसी को प्रार्थना करते हुए.. किसी मंदिर में , किसी मस्जिद में , किसी गिरजाघर में , किसी गुरुद्वारे में कोई बैठा हो। प्रार्थना करते रहेगा , करते रहेगा , करते रहेगा और प्रार्थना करते , करते , करते बाद में रोना चालू कर देता है , गिड़गिड़ाना चालू कर देता है। रोना इस बात का प्रतीक है कि उसका ईगो टूट गया है , उसका अहंकार टूट गया है। गिड़गिड़ाना इस बात का प्रतीक है कि वह भीख माँग रहा है।

••◆ अहंकारी व्यक्ति कभी भीख नहीं माँग सकता। प्रार्थना कर सकता है , प्रेयर कर सकता है। और प्रार्थना करते , करते , करते , करते उस मुकाम तक पहुँच जाता है कि उसका रोना शुरू हो जाता है। परमात्मा के नाम पर रोना शुरू कर देगा। और जैसे ही रोना शुरू कर देता है , एक घटना घटित हो जाती है - वह शून्य हो जाता है। प्रार्थना के आगे की स्थिति आ जाती है। प्रार्थना फलीभूत नहीं हो रही है , यह दिखता है.. तो रोना शुरू हो जाता है और रोना शुरू होते ही अहंकार टूटकर बिखर जाता है। और जैसे ही अहंकार टूट जाता है , वह परमात्मा के साथ विलीन हो जाता है और परमात्मा प्रकट हो जाता है और कार्य सिद्ध हो जाता है।

••◆ आपकी प्रार्थना इसलिए फलीभूत नहीं हो रही है क्योंकि कहीं तो भी अहंकार बाकी है , अहंकार छोड़ा नहीं है। आप जैसे नौकर को आर्डर देते हो , ऐसे परमात्मा को ऑर्डर दे रहे हो कि मेरा कार्य करो।

••◆ परमात्मा की प्राप्ति के लिए आपको नतमस्तक होना पड़ेगा। परमात्मा की प्राप्ति के लिए आपको झुकना पड़ेगा। आप अपने-आपको झुकाने में जितने सफल हो जाओ . . . इन शब्दों पर ध्यान दो - आप अपने-आपको झुकाने में जितने सफल हो जाओ।

••◆ शरीर की झुकने की एक लिमिट है , शरीर की झुकने की एक सीमा है , उससे अधिक नहीं झुक सकता। और उससे अधिक अगर झुका तो शरीर से नहीं , आत्मीय स्तर पर झुकेगा। और ऐसे जब आप झुकते हो , आपकी प्रार्थना पूर्ण हो जाती है।

🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹

गुरुपूर्णिमा महोत्सव २००७ - गिरनार , गुजरात

मधुचैतन्य (पृष्ठ : १७)
जुलाई, अगस्त, सितंबर - २००७

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