जीवन चक्र

••● जीवन में समय एक गति से ही चलते रहता है। लेकिन हमारे स्थिति के अनुसार ही हमें गति का एहसास होता है। अगर हमारी स्थिति अच्छी है , तो हमें लगता है कि समय कितने जल्दी बीत गया और अगर हमारी स्थिति खराब है , तो हमें लगता है कि समय कितने धीरे-धीरे बीत रहा है।

••● विशेष रूप से जीवन में जब कभी कोई समस्या आती है तब समय बड़ा लंबा मालूम होता है। हम समस्याग्रस्त होते हैं। और इसी कारण समय की गति लंबी मालूम होती है।

••● कभी-कभी तो हम समस्या के इतने अधीन हो जाते हैं कि जीवन छोटा और समस्या बड़ी मालूम होती है। सारा जीवन ही समस्याग्रस्त मालूम जान पड़ता है। जबकि यह होता नहीं है।

••● जीवन बहुत बड़ा है और उस बड़े जीवन में एक क्षण ही समस्या रहती है। लेकिन जीवन समस्या नहीं है। जीवन में समस्या है।

••● समस्या और जीवन दोनों अलग-अलग हैं। लेकिन हम समस्या को अधिक महत्व देते हैं। और जीवन को कम। और 'जीवन समस्या' है ऐसे मानने लग जाते हैं। और जो मानने लग जाते हैं वह होना प्रारंभ हो जाता है। और वास्तव में ही जीवन समस्याग्रस्त हो जाता है। साधक के मानने पर ही सबकुछ निर्भर होता है।

🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹

मधुचैतन्य (पृष्ठ : ५)
जुलाई, अगस्त, सितंबर - २००९

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