संदेशवाहक
'संदेशवाहक' कुछ मनुष्य को पिछले जन्म में दिए आश्वासन के कारण देह धारण करता है और *वह लोगों की 'आँखों' से पहचान लेता है।* नया जन्म , नया शरीर धारण किया तो भी *'आँखें'* तो वही रहती हैं। *'आँखें' आत्मा की पहचान कराती हैं। आँखों के कारण ही लोग अपने 'संदेशवाहक' को भी पहचान लेते हैं।* एक क्षण देखने के बाद ही हमें समझ आता है , *जिसे मैं जन्मों-जन्मों से खोज रहा था , वह यही है।* आँखे मनुष्य की कभी नहीं बदलती हैं। 'आँखों' से भीतर बसी आत्मा का पता चलता है। आँखों से 'आत्मा' को पहचाना जा सकता है। *संदेशवाहक की आँखों में प्रत्येक मनुष्य के प्रति 'करुणा' का एक दिव्य भाव सदैव होता ही है। उसी के कारण 'संदेशवाहक' अपनी आँखों से ही उन आत्माओं तक अपना संदेश भेज पाता है। वह संदेश अति सूक्ष्म रूप में होता है। बस , वह उन्हीं मनुष्यों को समझ आता है , जिसके लिए वह संदेश भेजता है।* 'माँ' अपने बच्चे को हजारों बच्चों में भी पहचान जाती है , यह घटना भी ऐसी ही कुछ है।
*🌹परम पूज्य श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌹*
*।। सत्य का आविष्कार ।।*
(पृष्ठ : ६४)
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