अनुभूतीयाँ
मैं क्या बताता हूँ? मैं अपनी अनुभूतीयाँ बताता हूँ। अपने अनुभव बताता हूँ। तो आप अपने अनुभव बताओ ना! आपको अनुभूती नहीं हुई क्या? हुई , आपको अनुभव आया ना , आया। तो वो अनुभव की बात करो। जब कभी भी हम अनुभूती की बात करते हैं , जब कभी हम अनुभव के ऊपर बात करते हैं , तो वो चित्त बाईब्रेशन पर रहता है। अनुभूती चैतन्य की रहती है और चैतन्य के ऊपर जैसे ही हमारा चित्त जाएगा , ऑटोमेटिकली एक एनर्जी एक वाईब्रेशन सामने वाले को मिलेंगे। और दुसरा , हमारा भी चित्त शुद्ध होगा , पवित्र होगा। तो आवश्यकता है आप आपके अनुभूती पे बोलो , आप आपके अनुभव बोलो।
---- पूज्य स्वामीजी
*मधुचैतन्य मई-जून १९२०*
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