भूमिमाता
" भूमिमाता चित्तशुद्धि करने में बड़ी
सहायक होती है। जब चित्त सशक्त्त
हो जाता है, तो शरीर भी स्वस्थ हो
जाता है।भूमि की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति
चित्त को और शरीर को संतुलन में लाने
का कार्य करती है, बशर्ते हम उस
संतुलन के लिए तैयार हो जाएँ।प्राकृतिक
शक्तियों का उपयोग स्वेच्छा से किया जा
सकता है। जबरदस्ती के साथ किसी को
भी प्रकृति के साथ जोड़ा नही जा सकता
हैं।"कुछ दिन अभ्यास करने के बाद
अनुभव किया कि कुछ समय तक भूमि
पर बैठकर कर ध्यान साधना करने पर
चित्त जल्दी एकाग्र होता था और बाद
में बड़ा शांत और अच्छा लगता था और
शरीर में भी एक हल्कापन महसूस होता था ।
एक दिन सुबह गुरुदेव ने अपनी
हिमालय-प्रवास की बातें बताना प्रारंभ
किया और उन्होंने बताया ,
हो जाता है, तो शरीर भी स्वस्थ हो
जाता है।भूमि की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति
चित्त को और शरीर को संतुलन में लाने
का कार्य करती है, बशर्ते हम उस
संतुलन के लिए तैयार हो जाएँ।प्राकृतिक
शक्तियों का उपयोग स्वेच्छा से किया जा
सकता है। जबरदस्ती के साथ किसी को
भी प्रकृति के साथ जोड़ा नही जा सकता
हैं।"कुछ दिन अभ्यास करने के बाद
अनुभव किया कि कुछ समय तक भूमि
पर बैठकर कर ध्यान साधना करने पर
चित्त जल्दी एकाग्र होता था और बाद
में बड़ा शांत और अच्छा लगता था और
शरीर में भी एक हल्कापन महसूस होता था ।
एक दिन सुबह गुरुदेव ने अपनी
हिमालय-प्रवास की बातें बताना प्रारंभ
किया और उन्होंने बताया ,
हिमालय...
हि. का.स.योग 1⃣ पेज 67
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