सद्गुरु पवित्र आत्मा का सागर


"प्रत्येक आत्मा को अपना संपूर्ण चक्र पार करके भोग भोगना ही होते हैं | लेकिन उस भोगने के दौरान जीवन में कोई सद्गुरु मिल जाएँ तो सद्गुरु कोई एक आत्मा नहीं होते हैं, सद्गुरु पवित्र आत्मा का सागर होते हैं, समुद्र होते हैं | उनकी संगत में मनुष्य के भोग कम होने की संभावना होती है | यानी मनुष्य को अपने भोग भोगना ही है, यह निश्चित है लेकिन जीवन में सद्गुरु मिले तो ही भोगों से मुक्ति संभव है |"

("हिमालय का समर्पण योग", भाग-५, पेज २४४)

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