में आपको १००% समर्पित हु | लेकिन आप मुझे कितने समर्पित है | यह प्रश्न आप एकान्त में अपनी " आत्मा " को पूछो क्योंकि अगर आप भी मुझे १००% समर्पित हो तो आपकी भी स्थिति मेरे ही समान होना चाहिए | क्यों नहीं है ? क्योंकि आपने अपना " में" का अहंकार अभी भी समर्पित नहीं किया है | मुझे सब दिखता है | लेकिन तुम्हारा अहंकार तुम्हारी अपनी निजी संपति है | वह में आप से छीन कर कैसे ले सकता हु | अब वह आप ही की संपति है | आप जब समर्पित करेगे तब तक मुझे उसकी राह देखने के अलावा में कर ही क्या सकता हु | जब तक आपको ही उसका मोह है | और आप ही भीतर उसे समर्पित करना नहीं चाहते में आप से आपकी संपति जबरजस्ती कैसे ले सकता हु ? अब मुझे लगा वह मैंने बता दिया आपकी आप जानो ......
आपका
बाबा स्वामी
२८-०५-२०१३
बाबा स्वामी
२८-०५-२०१३
Comments
Post a Comment