अनुभव आध्यात्मिक क्षेत्र की प्रगति की पादान

एक दिन सुबह सुबह मैंने सूर्य के दर्शन किये और  सूर्यदेव को ही नमस्कार करके मैंने मेरे गुरुदेव को याद किया और प्रार्थना की "गुरुदेव, 'मेरा मन बड़ी दुविधा में है। कुछ मार्ग बताईये - उपासना पद्धति श्रेष्ठ है या ध्यान श्रेष्ठ है।   बड़ी असमंजस की स्थिति है। आगे का मार्ग नहीं दीख रहा है।"
सूरज की पहली किरण के साथ मुझे उत्तर आया। "जो दीख रहा है उसमें उत्तर मत खोज। जो अनुभव हो रहा है उसमें उत्तर है। अनुभव करो, यह अनुभव आध्यात्मिक क्षेत्र की प्रगति की पादान है।  

आपका
बाबास्वामी

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