आभार
आज नववषे की सुबह होने पर मेरा मन “आभार” से ही भर गया सवे प्रथम तो उन सभी साधक और साधीका ओ का ह्रदय पुवेक आभार
जिनके मेहनत,और निस्वांथे भाव से
किये गये त्याग और आत्मीयता से
किये गये “गुरूकाये” से गत वषे इतने
विश्वस्तर पर काये सपन्न हो सका।
मेरे देवी देवता तो वही है।जिनके कृपा के बीना मुझसे इतने बडे स्तर पर काये संभव ही नही था।
बाद मे मैने मेरे “स्थुल शरीर” का ह्रदय से आभार माना जीसने इतने
लाखो कैचेस सहन कर भी मेरा साथ
न छोडा आज भी भी मेरे साधक इतने
परीपक्व नही है।की स्थुल शरीर की
उपस्थीती बीना काये हो सके सभी
स्थानो पर विश्वभर मे जाना ही पडता
है। आज भी इस स्थुल शरीर का एक
जबरजस्त चुंबकीय आकेषेण सारे
विश्व मे दिन प्रतीदिन बढ रहा है।इस
लिये तो आज महसुस हुआ की इस
“स्थुलशरीर” की भुमीका इस पवीत्र
गुरूकाये मे बहुत ही बडी है।इस लिये
ह्रदय से उसका आभार है।
आज एक सुक्ष्म व्यवस्था के तहत ही
मेरे इस स्थुल शरीर से नववषे दक्षीण
भारत से प्रांरभ हो रहा है।और उस
सुबह को29/30/31/ की रातो का
आधार है।और आज की रात को गीनकर चारराते चैनई तामीलनाडु
मे बीताना भवीष्य का संकेत है. की
इ स वषे गुरूकृपा दक्षीण भारत पर विषेष बरसने वाली है।
आप सभी का फिर स ह्रदय से आभार
आप सभी को खुब खुब आशिवाद
आपका अपना
बाबा स्वामी
समपेण ध्यान केन्द्र चैनई तामील नाडु
1-1-2019
Comments
Post a Comment