सद्गुरु

जो शरीर सद्गुरु को ही नहीं जान पाया वह सद्गुरु से प्राप्त 'अनुभूति 'को क्या समझेगा! सद्गुरु तो स्थूल रुप में जीवंत है,जब उसे ही , नहीं जान पाए तो उसके द्वारा की गई 'अनुभूति 'को क्या  समझ पाएंगे ! यही एक कारण है कि 'सद्गुरु ' को पाकर  भी साधक सद्गुरु को 'खो' देते हैं ,अनुभूति  को पाकर भी साधक अनुभुति को 'खो' देते हैं l

सद्गुरु वाणी

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