आत्मा तो परमात्मा का ही छोटा स्वरुप
"आत्मा तो परमात्मा का ही छोटा स्वरुप है | वह हमारे पिछले जन्मों का और आगे का सब जानती है इसीलिए, जो योग्य हो, वही निर्णय वह लेती है | वे निर्णय वर्तमान समय में योग्य न भी लगते हों लेकिन भविष्य में वही निर्णय योग्य जान पड़ता हैं | यानी आत्मा भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेती है, जबकि मष्तिष्क भविष्य के बारे में केवल सोच सकता है लेकिन भविष्य क्या है, यह वह कभी नहीं जानता है | अगर हमारा वर्तमान, आत्मा के निर्देशानुसार हो तो भविष्य उज्जवल ही होगा |"
("हिमालय का समर्पण योग", भाग-५, पेज ३३८)
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