शरीर से मैं आपके साथ होता हूं,  दिखता भी हूंँ पर सदैव चित से तो हिमालय की उस गुफा में ही हूँ जहाँ मेरा सूक्ष्म  शरीर विघमान है| इस लिए यहाँ के बाहरी वातावरण का, परिस्थिति यों का कोई प़भाव मेरे ऊपर नही पड़ता है| यानी इस जगत में हूँ, पर हूँ नही

आपका
बाबा स्वामी

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