आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति


आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करनी हो तो अपनी इच्छा छोडऩी पड़ती है। अपनी स्वयंम् की कोई इच्छा ही नहीं होती है, सबकुछ "उसकी" इच्छा पर निर्भर होता है। सब लोगों के चित्त से छुपकर साधना करनी होती है। क्योंकि जितना आप अपने परिचितों से दूर रहोगे, उतना ही उनका चित्त भी आप पर नहीं रहेगा और आपका भी उन पर नहीं रहेगा। और इस प्रकार जब आप अपने शरीर से अलिप्त होते हो, तो धीरे-धीरे चित्त से भी अलिप्त होने लगते हो।

आपका 
बाबास्वामी

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