ध्यान करने से तृप्ती का अनुभव
ध्यान करने से तृप्ती का अनुभव होता हैं। ध्यान नियमीत रुप से होने से नाभी चक्र विकसित होने लगता है। हमे किसी चीज का अभाव नही होता। हमारी सभी आवश्यकताए पुरी होती है और धीरे धीरे एक ऐसी भी स्थिती प्राप्त हो जाती है कि किसी चीज कि हमें जरूरत महसूस होने से पहले ही वह चीज हमें हशील हो जाती है।
मधुचैतन्य अक्टू/नवं/दिसं/2004/17
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