॥स्वामीजी के सूक्ष्म शरीर का प्रभाव॥
किसी भी स्थान पर जब रुकता था तो रात को सोने के बाद सूक्ष्म शरीर का आकार बहुत बढ़ जाता था और वह आकार ही वातावरण से शरीर को सुरक्षित रखता था। और उस बढे हुए सूक्ष्म आकार से उस स्थान की ऊर्जा और उस स्थान के चैतन्य के बारे में जानकारी मिल जाती थी। एक रात भी शरीर कहीँ रहता था तो उस स्थान पर प्रभाव छोड़ जाता था। वह प्रभाव स्थाई रूप से होता ही था। और रात में शरीर विकसित होकर आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता था।
[ ही.का.स.योग- भाग ५ ]
पृष्ठ- ३१६
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