अहोभागय कि गुरू नाराज हूए

कई बार  किसी पर गुरू नाराज हो  रहा है ,ऐसा दिखता है ,  पर  होता  नही है । नाराज होना, गुस्सा करना  यह शरीर का भाव है।'गुरू' शरीर नही है । अरे, अहोभागय कि  गुरू नाराज  हूए,गुस्सा किया!  गुस्सा वही  किया  जाता है  जहां   अपनापन हो । कोई  परायों पर  गुस्सा करता है क्या?  नही। गुरू  गुस्सा कर  ही नही  सकता  है । यह  सब  माया है । इसीलिए वह  जीस पर गुस्सा  करता है,  उस  शिष्य को बुरा  भी  नही  लगता क्यो की वह  गुस्सा  भी  माध्यम है कृपा  का, करुणा  का, चैतन्य  देने का । समझ समझ का खेल है। जीस शिष्य  पर  गुस्सा  करता है,  वह  शिष्य  संतुलित  हो  जाता है, बैलेंस्ड हो  जाता है, निवीॅचार हो  जाता है ।

Adhyatmik satya
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