अहोभागय कि गुरू नाराज हूए
कई बार किसी पर गुरू नाराज हो रहा है ,ऐसा दिखता है , पर होता नही है । नाराज होना, गुस्सा करना यह शरीर का भाव है।'गुरू' शरीर नही है । अरे, अहोभागय कि गुरू नाराज हूए,गुस्सा किया! गुस्सा वही किया जाता है जहां अपनापन हो । कोई परायों पर गुस्सा करता है क्या? नही। गुरू गुस्सा कर ही नही सकता है । यह सब माया है । इसीलिए वह जीस पर गुस्सा करता है, उस शिष्य को बुरा भी नही लगता क्यो की वह गुस्सा भी माध्यम है कृपा का, करुणा का, चैतन्य देने का । समझ समझ का खेल है। जीस शिष्य पर गुस्सा करता है, वह शिष्य संतुलित हो जाता है, बैलेंस्ड हो जाता है, निवीॅचार हो जाता है ।
Adhyatmik satya
Page 195
Comments
Post a Comment