समर्पण ध्यानयोग
*॥जय बाबा स्वामी॥*
ईश्वरप्राप्ति के अनेक मार्ग हैं। उनमें ही एक मार्ग 'समर्पण ध्यानयोग' है। और इस मार्ग के ऊपर जो लोग चलते हैं, उन्हें इस मार्ग पर चलनेवाली शक्तियाँ सामूहिक शक्तियाँ प्रदान करती हैं और इस मार्ग पर चलनेवालों का जीवन सुख और शांति से व्यतीत होता है।
इस मार्ग के कुछ सिद्धांत हैं और इन्हीं सिद्धांतों पर यह पद्धति आधारित है।
पहला सिद्धांत - परमात्मा सर्वत्र व्याप्त विश्वव्याप्ती शक्ति है।
दुसरा - सद्गुरु इस विश्वव्यापी शक्ति का माध्यम है।
तिसरा- विश्व में एक ही धर्म है - मानव धर्म।
चौथा - अहिंसा सत्य धर्म है
पाँचवा - परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण ही मोक्ष है।
इन्ही सिद्धांतों पर यह पद्धति आधारित है और इस पद्धति पर जो ऋषी-मुनि चले हैं , उनकी शक्तियाँ आज भी इस ब्रह्मांड में विद्यमान हैं और इस मार्ग पर चलनेवालों की वे सहायता करती हैं। पर अभी तक इस मार्ग पर केवल ऋषी-मुनि ही चले हैं और इस मार्ग पर चलकर ज्ञान-प्राप्ति की है। पर अब गुरुतत्व की इच्छा है कि यह ज्ञान सामान्य मनुष्य तक पहुँचे। पिछले आठ सौ सालों से यह ज्ञान हिमालयों की गुफाओं तक ही सीमित था।
*हिमालय का समर्पण योग २/१८०*
*॥आत्म देवो भव:॥*
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