एक संन्यासी ने प्रश्न किया , आपको जब एक गुरु दूसरे गुरु के पास भेजते थे , तो आंप तो श्री क्षेत्र में आसानी से कैसे धुस पाते थे ?

एक संन्यासी ने प्रश्न किया , आपको जब एक गुरु दूसरे गुरु के पास भेजते थे , तो आंप तो श्री क्षेत्र में आसानी से कैसे धुस पाते थे ?

मैंने उत्तर दिया, जो पहले वाले गुरू थे उनका आभामण्डल दूसरे गुरु के आभामण्डल से एक स्पंदनों के द्धारा संपर्क स्थापित करता था और बाद में उनकी आपस में सूक्ष्म रूप में बात हो ही जाती थी और बाद में ही मुझे भेज जाता था। यह ठीक ऐसा ही है कि एक टीचर दूसरे टीचर से फोन पर बात कर ले, उससे विद्यार्थी को भेजने की अनुमति ले ले और बाद में ही भेज , यह ऐसा ही होता था।

भाग - ६ -३११

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