दान

"अगर हम जीवन में कभी निःस्वार्थ भाव के साथ दान करते हैं तो वह दान हमें जीवन में अंतर्मुखी करता है | अंतर्मुखी अवस्था तो वह अवस्था है, वह द्वार है जहाँ से भीतर के आत्मा में ही परमात्मा की प्राप्ति होती है | इसलिए हम कह सकते हैं कि दान मोक्ष का द्वार है;  बशर्ते वह निःस्वार्थ भाव के साथ किया गया हो |"

('मधु चैतन्य', मई-जून '18, पेज 4)

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