ब्रम्हनाद

केवल  सदगुरु  ही  है,  जिसे  भीतर  का  मार्ग  पता  होता  है , और वही  भीतर  का  मार्ग  बता  सकता  है , भीतर  जाकर  जो  ब्रम्हनाद  सुनाई  आता  है , उसका  वर्णन  तो  किया  ही  नही  जा  सकता  है , मेरे  हाथ  उसका  वर्णन  करने  के  काविल  नही  है , वह  घटना  याद  करके  मेरा  ही  ध्यान  लग  रहा  है , मेरे  ही  भीतर  फिर  वही  ब्रम्हनाद  सुनाई  आने  लगा  है , परमात्मा  की  प्राप्ति  रूपी  " गौरीशंकर" उच्च  शिखर  प्राप्त  करने  के  बाद  एक  प्रकार  की  शांति  का  अनुभव  कर  रहा  हूँ , एक  प्रकार  की  आत्मतृप्ति  हो  गई  है , की  मैने  परमात्मा  को  पा  लिया , अब  जीवन  में  पाने  के  लिए  ही  कुछ  बाकी  नही  रहा , मेरा  जन्म  लेने  का  उद्देश  ही  पूर्ण  हो  गया ।

   परमपूज्य गुरुदेव
     २८ / ७ / ११
         गुरुवार
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