श्री गणेश जी का महत्व

एक कहानी के माध्यम से श्री गणेश जी के  महत्व को समझाया गया है। पार्वतीजी नहा रही थीं और श्री गणेश पहारा दे रहे थे। वास्तव में , हमारे शरीर की ऐसी ही संरचना है। हमारे शरीर में मूलाधार चक्र पर श्री गणेश का स्थान है और उसके पास ही कुंडलिनी माँ का स्थान है। कुंडलिनीमाँस्वरूप पार्वती पास ही रहती है। उस कुंडलिनी शक्ति को जगाने के लिए प्रथम श्री गणेश के पास जाना होता है। वे प्रथम देखते हैं कि उनकी माँ तक पहुँचनेवाला अधिकारी व्यक्ति है या नहीं? कौन कुंडलिनी शक्ति को जगा रहा है? वह जगानेवाला व्यक्ति अधिकारी व्यक्ति होना चाहिए , पवित्र व्यक्ति होना चाहिए , अन्यथा मूलाधारचक्र के ऊपर ही मनुष्य पहुँच नहीं सकता है। मूलाधार चक्र का प्रभाव विसर्जन संस्थान पर होता है। मैल का विसर्जन .....फिर वह मैल शरीर का हो या चित्त का हो , मनुष्य मैलरहित , पवित्र होना चाहिए। *चित्तशुद्धि महत्वपूर्ण है।*

*हिमालय का समर्पण योग २/६१*

*॥आत्म देवो भव:॥*

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी