गुरुकार्य में ही गुरु को अनुभव
तीन दिन के सान्निध्य पे आज पूरा जीवन व्यतीत कर दिया। क्यों? क्योंकि अभी गुरुकार्य में ही गुरु को अनुभव कर रहा हूँ। गुरुकार्य कर रहे है- गुरु के सान्निध्य में हैं , गुरु पास में है , गुरु मेरे पास में है , मैं गुरु के पास हूँ , क्योंकि मैं गुरुकार्य से जुड़ा हुआ हूँ। तो गुरुकार्य में ही गुरु का अनुभव कर रहे हैं। तो गुरु के सान्निध्य की आवश्यकता ही नहीं रही।
----- *पूज्य स्वामीजी*
*मधुचैतन्य जनवरी २०१८*
*॥आत्म देवो भव:॥*
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